Thursday, 8 September 2011

नीचे उड़ान भरते विमान ने लोगों की सांसें अटकाईं

हिसार/सिवानी. कम ऊंचाई पर उड़ते एक विमान ने गुरुवार को हिसार से लेकर हनुमानगढ़ तक के लोगों की सांसें फुला दीं। यह डगमगाते हुए धीमी गति से उड़ रहा था। ग्रामीणों को लगा कि विमान आगे जाकर किसी गांव में गिर गया होगा। फिर क्या था, फोन घनघनाने लगे। जिसे पता लगा, वह कामकाज छोड़कर उसकी तलाश में निकल पड़ा। चाहे वह गांव का आम आदमी हो, पुलिस वाला हो, अधिकारी हो या फिर खबरनवीस।

सुबह सवा दस से लेकर दोपहर एक बजे तक विमान के गिरने की सूचना आगे से आगे फैलती रही। हिसार के बगला से सिवानी, फिर राजस्थान की तहसील राजगढ़ और जिला हनुमानगढ़ तक फैल गई। क्षतिग्रस्त विमान की तलाश में लोग एक गांव से दूसरे गांव पहुंचते गए। सिवानी के कई लोग राजस्थान में सिद्धमुख और गोगामेड़ी तक पहुंच गए। कई लोगों ने उसे कम ऊंचाई पर उड़ते देखा।

सबसे पहले गांव बगला में विमान को देखा गया। 45 वर्षीय किसान वीरेंद्र ने हैरानी जताते हुए बताया ‘मैंने इससे पहले कभी इतने नीचे जहाज उड़ते नहीं देखा। वह डगमगा रहा था। सलेटी रंग का था। लड़ाकू जहाज नहीं था मगर छोटा था। मैंने ही नहीं, मेरे भाई करतार ने भी उसे देखा था। ऐसा लग रहा था, जैसे आगे किसी गांव में उतर जाएगा’। वीरेंद्र ने आदमपुर के मीडिया कर्मियों को इसकी जानकारी दी। कुछ देर बाद सिवानी से खबर आई कि एक विमान उनके इलाके में भी बहुत कम ऊंचाई पर उड़ रहा है। जमीन से बमुश्किल 100 फुट पर होगा। यह घरों और मोबाइल टावरों के ऊपर से गुजरा तो लोगों की सांसें अटकनी शुरू हो गई।

सिवानी के वार्ड 6 में रहने वाली गृहिणी शकुंतला कौशिक बताती हैं ‘मैं छत पर कपड़े सूखा रही थी। वो जहाज काफी नीचे उड़ते हुए मेरी तरफ ही आ रहा था तो मैं घबरा गई। घर के पास मोबाइल का टावर है। मुझे लगा कि यह उससे टकरा जाएगा’।

वार्ड 4 की संतोष देवी ने भी उस विमान को देखा था। उनका कहना है कि विमान काफी धीरे और कम ऊंचाई पर उड़ रहा था। ऐसा लगा कि सामने वाले घर से टकरा जाएगा। मगर वो आगे निकल गया। कुछ ऐसा ही सिवानी के भागीरथ जांगड़ा और रोहताश श्योराण ने बताया।

इसी दौरान सिवानी में खबर फैल गई कि वह विमान सिवानी के लाइन पार इलाके में गिर गया है। विमान हादसे की बात प्रशासन के पास पहुंची तो सिवानी के एसडीएम मांगेराम ढुल, नगर पालिका के कार्यकारी सचिव जगदीश भांभू, सब इंस्पेक्टर दलबीर सिंह अपने साथ चिकित्सकों की टीम लेकर मदद के लिए निकल पड़े। वह लाइन पार पहुंचे तो खबर मिली कि गुरेरा पास के खेतों में गिरा है।

वहां भी कोई जहाज नहीं मिला। फिर किकराल पहुंचे। इस तरह विमान की तलाश में अधिकारियों का दल राजस्थान के हनुमानगढ़ के शहर सिद्धमुख और गोगामेड़ी तक पहुंच गया। दोपहर करीब एक बजे सूचना आई कि यह सिरसा एयरफोर्स स्टेशन का विमान है, जिसकी प्रेक्टिस की जा रही है। सिरसा संवाददाता ने जब एयरफोर्स संपर्क साधा तो उन्होंने कहा कि उनके विमान उड़ते रहते हैं लेकिन ऐसा कोई विमान उनका नहीं है। देर शाम तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि विमान कहां से आया था और कहां गया।
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Tuesday, 6 September 2011

अन्ना टीम पर सरकार कर रही है बदले की कार्रवाई


अम्बाला सिटी. अन्ना हजारे ने जब से सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है, तब से सरकार की नींद हराम हो गई है। अब सरकार अरविंद केजरीवाल, बाबा रामदेव, शांति भूषण के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है।

यह बात भारतीय कामगार सेना इकाई शिवसेना की ग्रीन पार्क में आयोजित बैठक में जिला अध्यक्ष राजन त्रेहन ने कही। त्रेहन ने कहा कि सरकार अब यह संदेश दे रही है कि सो जाओ वरना हम तुम्हें फंसा देंगे।

त्रेहन ने कहा कि सरकार का इतिहास रहा है कि उसके खिलाफ आवाज उठी है, उसने उसे दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बैठक में सदस्यों ने कहा कि क्या कारण है कि अपने आप को किसान का बेटा, धरती पुत्र कहने वाले नेता सत्ता में आते ही करोड़पति बन जाते हैं।

बैठक में जिला वरिष्ठ उप प्रमुख नीशू कोहली, मनोज कुमार, मनीष कुमार शर्मा व जिला संगठन मंत्री शमशेर सैनी सहित सहित अन्य शिव सैनिक उपस्थित थे।
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मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त पायलट सुरक्षित बचा


अम्बाला सिटी. अभ्यास के दौरान अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरते ही इंडियन एयरफोर्स का लड़ाकू विमान मिग-21 (बाइसन) दुर्घटनाग्रस्त होकर अम्बाला-पटियाला सीमा (जीटी रोड) पर शंभू बैरियर के ठीक पास पटियाला में गांव राजगढ़ के खेतों में जा गिरा।

पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरुनव घोष ने काकपिट से छलांग लगाकर पैराशूट के जरिए जान बचा ली। उन्हें कैंट के मिल्रिटी अस्पताल में दाखिल कराया गया है। दुर्घटना मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे की है।

अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन पर सुबह मिग-21 और जगुआर विमानों का संयुक्त अभ्यास चल रहा था। मिग-21 विमानों की स्क्वाड्रन नंबर तीन के पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरुनव घोष ने मिग 21 (बाइसन) में उड़ान भरी।

थोड़ी ही देर में विमान उनके नियंत्रण से बाहर हो गया और राजगढ़ के खेतों में जा गिरा। एयरफोर्स स्टेशन से महज दो किलोमीटर दूरी पर जैसे ही विमान गिरा, तेज आवाज के साथ उसमें आग लग गई।

सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। इस वर्ष अब तक वायुसेना के चार विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, जिनमें तीन मिग-21 व एक जगुआर है। हादसों में दो पायलट की मौत भी हो चुकी है।

तारों में फंसा पायलट

दुर्घटना का अंदेशा होते ही पायलट घोष विमान को आबादी से दूर खेतों की तरफ ले गया। दुर्घटना से ठीक पहले वे विमान से बाहर कूद गए। जिस स्थान पर विमान गिरा, उससे आधा किलोमीटर दूर पायलट घोष बिजली के तारों में उलझ गए थे। ग्रामीणों की मदद से वे नीचे आए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

फ्लाइंग बंद, जांच शुरू

वहीं एयरफोर्स ने अम्बाला एयरबेस से अभ्यास के लिए विमानों की फ्लाइंग बंद कर दी। बता दें कि अम्बाला में इससे पहले भी लड़ाकू विमान आसपास क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।

आखिरी बार यहां विमान दुर्घटना वर्ष 2006 में इसी क्षेत्र से कुछ दूरी पर गांव सद्दोपुर के पास हुई थी। एयरफोर्स अधिकारियों की टीम ने विमान के ब्लैक बाक्स को अपने कब्जे में लेकर जांच के आदेश दे दिए हैं।
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Thursday, 1 September 2011

ट्राइजेमिनल न्यूरोलेजिया : सलमान की तरह यहां भी कई बीमार

हिसार दबंग सलमान खान सर्जरी के लिए अमरीका रवाना। उनके दिमाग की दो नसों में शार्ट सर्किट हो गया है। बॉलीवुड के लिए भले ही यह बड़ी खबर है, मगर -डॉक्टरों का कहना है कि यह एक आम बीमारी है। ट्राइजेमिनल न्यूरोलेजिया, इसका चिकित्सीय नाम है। अकेले अपने हिसार में ही न्यूरो सर्जनों के पास रोजाना तीन से चार ऐसे मरीज पहुंचते हैं।

न्यूरो सर्जन कहते हैं कि इस बीमारी की खास वजह नहीं है। मगर इसका दर्द इतना तेज होता है कि कई बार मरीज मरने तक की ठान लेता है। इसे शॉक स्टेज कहते हैं। यह कुछ समय के लिए ही उठता है। मरीज के सिर और आधे चेहरे पर करंट के झटके जैसी पीड़ा होती है।

शहर के एक जाने माने आप्थोमोलॉजिस्ट भी इस शार्ट सर्किट से परेशान रहे हैं। सात साल पहले उन्हें इस तरह का तेज दर्द उठता था। बताते हैं कि जब कभी वो बीयर पीते थे, दर्द शुरू हो जाता था। उन्होंने डेंटल सर्जन को दिखाया। डेंटल सर्जन ने इसकी वजह दांतों को समझा। उनके दो दांत निकाल दिए गए। मगर आराम फिर भी नहीं मिला। आखिरकार उन्होंने खुद न्यूरोलॉजी की किताबें पढ़ीं। अब उनके समझ आया कि दरअसल वे ट्राइजेमिनल न्यूरोलेजिया के शिकार हैं। सर्जरी तो नहीं करवाई मगर दवा से काम चल गया।

न्यूरो सर्जन डॉ. आर कुमार ने बताया कि ट्राइजेमिनल न्यूरोलेजिया दिमाग की एक सामान्य बीमारी है। ऐसे केस उनके पास आते रहते हैं। दिमाग के पोन्स से एक ट्राइजेमिनल नर्व निकलती है। इस नर्व की जड़ पर किसी अन्य आट्री या नर्व का दबाव पड़ने से ट्राइजेमिनल नर्व कमजोर हो जाती है। इससे नसों में शार्ट सर्किट हो जाता है।

न्यूरो सर्जन डॉ. वीके गुप्ता का कहना है कि ट्राइजेमिनल न्यूरोलेजिया के मुख्य कारणों में इनमें वायरल इंफेक्शन, रसोली, खून की नाड़ी ट्राइजेमिनल नर्व के ऊपर नस का आना है।


सर्जरी है इसका स्थाई उपचार

न्यूरो सर्जन डॉ. आर कुमार ने बताया कि इस बीमारी में सर्जरी ही एकमात्र स्थाई उपचार है, लेकिन में एक प्रतिशत मरीज की जान का जोखिम होता है। सर्जरी के दौरान आपस में टकराने वाली नसों के बीच टैफ्लॉन प्लेजेट्स (टैफ्लॉन का छोटा सा टुकड़ा) रखते हैं। नसों में शार्ट सर्किट बंद हो जाता है। 80 प्रतिशत रोगियों का इलाज दवाओं से करते हैं। शेष का आरएफए (रेडियो फ्रिक्वेंसी अबलेÊान) तकनीक से इलाज किया जाता है। इस तकनीक में मरीज की नर्व पर इंजेक्शन लगाकर उसे जला दिया जाता है।
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एमडीयू में हॉस्टल को लेकर बवाल

रोहतक. एमडीयू में बने नए हॉस्टल को लेकर विवाद हो गया है। छात्रों का आरोप है कि हॉस्टल निर्माण में निम्न स्तरीय सामग्री प्रयोग की गई है। यही कारण है कि करोड़ों रुपया खर्च किए जाने के बाद भी इन हॉस्टलों की हालत खस्ता बनती जा रही है। इस मुद्दे को लेकर छात्रों में रोष पनप रहा है।

एमडीयू के लगभग सभी विभाग न्यू कैंपस में शिफ्ट हो चुके हैं। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए इस कैंपस में करीब आधा दर्जन हॉस्टल बनाए गए थे, जिनके निर्माण पर करोड़ों रुपया खर्च किया गया था। एमडीयू प्रशासन ने इसका ठेका एक बड़ी कंपनी को दिया था। विद्यार्थियों का आरोप है कि कंपनी अधिकारियों ने हॉस्टल निर्माण में निम्न स्तरीय सामग्री का इस्तेमाल किया है। हॉस्टल शुरू हुए अभी दो माह भी नहीं हुए हैं कि बारिश का पानी छत से चू रहा है। दीवारों से प्लास्टर की पपड़ी उखड़ना शुरू हो गई है।

विद्यार्थी शुरू दिन से ही हॉस्टल की हालत के बारे में एमडीयू प्रशासन से शिकायत करते चले आ रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को सभी हॉस्टलों के छात्र भड़क गए और एमडीयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। घटना की जानकारी पाकर वीसी आरपी हुड्डा और चीफ वार्डन प्रो. एसएस चाहर मौके पर पहुंचे।

इन अधिकारियों को देखते ही छात्रों ने नारेबाजी और तेज कर दी। उन्होंने इन अधिकारियों को घेर लिया। इस दौरान छात्रों और वीसी के बीच जमकर सवाल-जवाब हुए। छात्रों ने आरोप लगाया कि कमिशन के चक्कर में प्रशासन ने अपने चहेतों को हॉस्टल निर्माण का कार्य सौंपा था।

इन ठेकेदारों ने मुनाफे के चक्कर में घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर दिया। हैरानी की बात तो यह है कि हॉस्टल निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री की किसी ने जांच तक नहीं की। हॉस्टल शुरू होते ही ठेकेदारों की पोल खुल गई। छात्रों का उग्र रूप देखकर वीसी मौके से चले गए। छात्रों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि इस मामले की जांच नहीं की गई तो वे आंदोलन करेंगे।

शौचालयों का है बुरा हाल
हॉस्टल के शौचालयों का आकार काफी छोटा है। यहां लगी शीट और वॉश बेसन पूरी तरह से टूट चुके हैं। इतना ही नहीं, फ्लश भी खराब हो गए हैं। ऐसे में छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों ने जब वीसी को इसकी शिकायत दी तो उन्होंने कहा कि शौचालयों का निर्माण विदेशी तर्ज पर किया गया है। वीसी का यह बयान छात्रों को हजम नहीं हुआ।

छात्रों ने कहा कि हॉस्टल का मैस भी काफी छोटा है। इस कारण यहां पर कर्मचारी सही तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं। खाद्य सामग्री रखने के लिए भी यहां पर्याप्त जगह नहीं है, जिस कारण यह सामग्री खराब हो रही है। उन्होंने बताया कि मैस में कर्मचारियों का भी टोटा है।

नए हॉस्टलों में कमरे और शौचालय काफी छोटे हैं। इस कारण छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे को लेकर जल्द ही सभी वार्डन और एक्सइएन के साथ मीटिंग की जाएगी, जिसमें इन परेशानियों के समाधान पर विचार किया जाएगा। -प्रो. एसएस चाहर चीफ वार्डन, एमडीयू
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आज से गूंजेगा गणपति बप्पा मोरया..

अम्बाला. गुरुवार को गणेश चतुर्थी है और इसके साथ ही गणेश उत्सव शुरू हो जाएगा। उत्सव में दस दिन विधि विधान से गणपति की पूजा के बाद 11वें दिन पानी में उनका विसर्जन किया जाता है।

पंडित अशोक शास्त्री के अनुसार यूं तो पूरा दिन पूजा के लिए शुभ है मगर विशेष फल की प्राप्ति के लिए सुबह 5.00 बजे से 7.18 बजे तक पूजा करें। उसके बाद 11.30 बजे से दोपहर 2.15 बजे तक का समय पूजा के लिए शुभ है।

Friday, 19 August 2011

अब तीन गरारी की चारा मशीन में नहीं कटेगा हाथ!


हिसार. चारा काटते समय किसान परिवारों में होने वाली सर्वाधिक अंग भंग की दुर्घटनाओं को अब रोका जा सकेगा। जिले के गांव आर्यनगर के किसान सुमेर सिंह की छोटी बेटी रेणुका डांगी ने चारा काटने की मशीन का ऐसा मॉडल बनाया है, जो आपात स्थिति में अपने आप बंद हो जाएगी।

इस मॉडल को दिल्ली में राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में उत्तरी भारत में दूसरे स्थान के लिए चयनित किया गया है। इसके लिए रेणुका को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दस हजार रुपए का नगद पुरस्कार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। गांव के ही स्कूल में दसवीं की छात्रा रेणुका बताती हैं कि करीब एक साल पहले पिता का ही कोई परिचित घर पर आया था, जिसका एक हाथ कटा हुआ था।

बाद में पापा ने बताया था कि चारा काटते वक्त उसका हाथ कटा था। तभी से दिमाग में यह बात चल रही थी कि चारा काटने के लिए ऐसी मशीन होनी चाहिए, जिससे इस तरह किसानों को अंग न गंवाने पड़े। इसी को ध्यान में रख उन्होंने ऐसी मशीन का मॉडल बनाया जो न केवल हादसों को रोकने में सक्षम है, साथ ही गेहूं पीसने जैसे अन्य घरेलू कार्य में भी करेगा। साइंस अध्यापिका रीटा देवी और प्रयोगशाला सहायक सुरेश सोनी की मदद से इस मॉडल को तैयार करने में उसे एक सप्ताह लगा। यह मॉडल राज्य स्तर पर भी पहला पुरस्कार प्राप्त कर चुका है।

हिसार के नौ छात्र सम्मानित

जिला विज्ञान विशेषज्ञ पूर्णिमा गुप्ता बताती हैं कि दिल्ली के प्रगति मैदान में हुई इन्स्पायर योजना की पहली प्रतियोगिता में देश भर से 714 मॉडल प्रदर्शित किए गए। इसमें देश को छह जोन में विभाजित कर 45 प्रतिभागियों को अवार्ड के लिए चयनित किया गया। उत्तरी भारत में पहले दो स्थानों पर हरियाणा का कब्जा रहा। इसमें रेणुका के मॉडल ने ओवरआल दूसरा स्थान प्राप्त किया। रेणुका को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया।

इस प्रतियोगिता में हिसार मंडल से नौ बच्चों ने भाग लिया था। इन्हें मंत्रालय ने ढाई-ढाई हजार रुपए और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले अन्य प्रतिभागियों में नंगथला गांव से नीरज कुमार, उकलाना से खुशबू, किरतान से संजू, जहाजपुल स्कूल से नवीन, ओपी जिंदल स्कूल से आयुषी यादव, सेंट कबीर स्कूल से तेजस्वी, ढंढूर गांव से संदीप और सिरसा से रितांशु शामिल थे।

ऐसे काम करती है चारा काटने की मशीन

रेणुका बताती हैं कि आमतौर पर चारा काटने की मशीन में दो गरारी लगी होती है। इसलिए चारा काटते वक्त चारे को हाथ से धकेलना पड़ता है। लेकिन उन्होंने इस मशीन में तीन गरारी लगाई है। तीसरी गरारी अपने आप चारे को आगे सरका देती है। इसके साथ ही मशीन में एक अलार्म फिट किया गया है।

अगर चारा काटते वक्त किसान का हाथ मशीन में आने लगता है तो उसमें लगाए गए सेंसर से सिग्नल पाकर यह अलार्म बज उठता है और बिजली कट हो जाती है। इससे मशीन अपने आप बंद हो जाएगी और हाथ कटने जैसी दुर्घटना को रोका जा सकेगा। इसके साथ ही चारा काटने की इस मशीन के साथ चक्की भी लगाई गई है जिसमें चारा काटते समय पिसाई भी साथ साथ किया जा सकता है।

इंस्पायर योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। इसमें अवार्ड जीतना जिले के लिए गौरव की बात है। इससे प्रेरणा लेकर अन्य प्रतिभाएं भी निखर कर सामने आएंगे।""
source:-bhaskar.com

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