Friday 19 August 2011

अब तीन गरारी की चारा मशीन में नहीं कटेगा हाथ!


हिसार. चारा काटते समय किसान परिवारों में होने वाली सर्वाधिक अंग भंग की दुर्घटनाओं को अब रोका जा सकेगा। जिले के गांव आर्यनगर के किसान सुमेर सिंह की छोटी बेटी रेणुका डांगी ने चारा काटने की मशीन का ऐसा मॉडल बनाया है, जो आपात स्थिति में अपने आप बंद हो जाएगी।

इस मॉडल को दिल्ली में राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में उत्तरी भारत में दूसरे स्थान के लिए चयनित किया गया है। इसके लिए रेणुका को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दस हजार रुपए का नगद पुरस्कार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। गांव के ही स्कूल में दसवीं की छात्रा रेणुका बताती हैं कि करीब एक साल पहले पिता का ही कोई परिचित घर पर आया था, जिसका एक हाथ कटा हुआ था।

बाद में पापा ने बताया था कि चारा काटते वक्त उसका हाथ कटा था। तभी से दिमाग में यह बात चल रही थी कि चारा काटने के लिए ऐसी मशीन होनी चाहिए, जिससे इस तरह किसानों को अंग न गंवाने पड़े। इसी को ध्यान में रख उन्होंने ऐसी मशीन का मॉडल बनाया जो न केवल हादसों को रोकने में सक्षम है, साथ ही गेहूं पीसने जैसे अन्य घरेलू कार्य में भी करेगा। साइंस अध्यापिका रीटा देवी और प्रयोगशाला सहायक सुरेश सोनी की मदद से इस मॉडल को तैयार करने में उसे एक सप्ताह लगा। यह मॉडल राज्य स्तर पर भी पहला पुरस्कार प्राप्त कर चुका है।

हिसार के नौ छात्र सम्मानित

जिला विज्ञान विशेषज्ञ पूर्णिमा गुप्ता बताती हैं कि दिल्ली के प्रगति मैदान में हुई इन्स्पायर योजना की पहली प्रतियोगिता में देश भर से 714 मॉडल प्रदर्शित किए गए। इसमें देश को छह जोन में विभाजित कर 45 प्रतिभागियों को अवार्ड के लिए चयनित किया गया। उत्तरी भारत में पहले दो स्थानों पर हरियाणा का कब्जा रहा। इसमें रेणुका के मॉडल ने ओवरआल दूसरा स्थान प्राप्त किया। रेणुका को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया।

इस प्रतियोगिता में हिसार मंडल से नौ बच्चों ने भाग लिया था। इन्हें मंत्रालय ने ढाई-ढाई हजार रुपए और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले अन्य प्रतिभागियों में नंगथला गांव से नीरज कुमार, उकलाना से खुशबू, किरतान से संजू, जहाजपुल स्कूल से नवीन, ओपी जिंदल स्कूल से आयुषी यादव, सेंट कबीर स्कूल से तेजस्वी, ढंढूर गांव से संदीप और सिरसा से रितांशु शामिल थे।

ऐसे काम करती है चारा काटने की मशीन

रेणुका बताती हैं कि आमतौर पर चारा काटने की मशीन में दो गरारी लगी होती है। इसलिए चारा काटते वक्त चारे को हाथ से धकेलना पड़ता है। लेकिन उन्होंने इस मशीन में तीन गरारी लगाई है। तीसरी गरारी अपने आप चारे को आगे सरका देती है। इसके साथ ही मशीन में एक अलार्म फिट किया गया है।

अगर चारा काटते वक्त किसान का हाथ मशीन में आने लगता है तो उसमें लगाए गए सेंसर से सिग्नल पाकर यह अलार्म बज उठता है और बिजली कट हो जाती है। इससे मशीन अपने आप बंद हो जाएगी और हाथ कटने जैसी दुर्घटना को रोका जा सकेगा। इसके साथ ही चारा काटने की इस मशीन के साथ चक्की भी लगाई गई है जिसमें चारा काटते समय पिसाई भी साथ साथ किया जा सकता है।

इंस्पायर योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। इसमें अवार्ड जीतना जिले के लिए गौरव की बात है। इससे प्रेरणा लेकर अन्य प्रतिभाएं भी निखर कर सामने आएंगे।""
source:-bhaskar.com

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