टटियाणा (कैथल). मानसून शुरू होते ही एक बार पंजाब और हरियाणा में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इस बीच हरियाणा की तरफ से बनाई जा रही हांसी-बुटाना नहर के साथ बनाई जा रही दीवार ने विवाद को नया रूप दे दिया है।
हरियाणा का मानना है कि हांसी-बुटाना के किनारे दीवार बनने से पंजाब की तरफ से आ रहे पानी के बहाव पर रोक लग जाएगी, वहीं पंजाब को आशंका है कि पानी के प्राकृतिक बहाव को रोकना पंजाब के लिए अहितकारी होगा। विवादों के बीच पिछले कुछ दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से दीवार बनने का काम थम सा गया है, लेकिन दोनों राज्यों में सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है।
दीवार के दोनों तरफ रह रहे लोग सहमे हुए हैं कि कहीं इस बार बाढ़ की विभीषिका पिछले साल से ज्यादा भयावह तो नहीं होगी। टटियाणा पुल (आरडी 45000) पर आरडी 52000 के पास दीवार पर दर्जन भर मजदूर निर्माण कार्य में लगे हैं। पुल के पास ही हमारी मुलाकात यहां गांव हाशमपुर के जसबीर सिंह से हुई। उसका मानना है, हरियाणा वाले यह काम सही नहीं कर रहे हैं, पानी के बहाव को रोककर हमारे लिए मुसीबत पैदा कर रहे हैं।
बाढ़ आई तो हमारी तो हजारों एकड़ फसल तबाह हो जाएगी, और माली नुकसान कितना होगा पता नहीं। पहले तो यह नहर ही मुसीबत बनी हुई थी अब उस पर बन रही यह दीवार मुसीबत को और बढ़ा देगी। उन्होंने बताया कि इस बार बाढ़ आई तो नुकसान ज्यादा होगा। इसी दौरान हमारी बातचीत में कैथल के गांव टटियाणा का महिंदर सिंह भी शामिल हो जाता है।
महिंदर सिंह दीवार बनाने को सही ठहराता है, ‘तो क्या पानी की मार से हम मरें, हरियाणा अपने इलाके में दीवार बना रहा है तुम्हारे में तो नहीं’। नोक-झोंक से साफ जाहिर है कि दीवार अब दिलों में बनती जा रही है। महिंदर हमें दीवार बनाने वाले स्थल पर ले जाता है जहां काम काफी धीमी गति से चल रहा है। काम करने वाले मजदूर बताते हैं, बरसात के कारण पानी नींव में भर जाता है इसलिए काम धीमी गति से चल रहा है।
नहर के बाएं किनारे से सात फुट की दूरी पर नहर के बैड से चार फुट नीचे जाकर नींव खोदी जा रही है। इसमें स्टील लगाकर कंक्रीट भरने का काम जारी है फिर इसे पांच फुट और ऊपर लाया जाएगा और नहर के बाएं किनारे और दीवार को मिलाने वाला स्लोप बनाया जाएगा ताकि घग्घर के तेज बहाव को हांसी बुटाना नहर को नुकसान न हो।
कश्मीर सिंह सहित बलजीत सिंह व कुछ और गांवों के सरपंचों ने हाईकोर्ट में इसके खिलाफ केस भी दायर किया लेकिन हाईकोर्ट ने कहा, राज्य सरकार के मार्फत केस दायर किया जाए। नहर का विरोध करने के बारे में वह बताते हैं, हमने विरोध किया था, कई बार सड़क पर जाम भी लगाया है लेकिन फिर उधर (हरियाणा) वाले भी विरोध करने में जुट जाते हैं, सही चीज को तो कोई देखने को राजी नहीं है। इस नहर ने तो हमारे रिश्ते ही बिगाड़ दिए हैं।
हांसी बुटाना नहर के बाएं किनारे पर बने गांव धर्महेड़ी के सरपंच कश्मीर सिंह , महिंदर सिंह के मत से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है, च्पानी तो कुदरती बहाव की तरफ ही जाता है इसे रोकने की कोशिश करना खतरे से खाली नहीं है। पहले तो इन्होंने हमारे विरोध के बावजूद ये नहर बना ली, अब दीवार बनाकर पक्के तौर पर पानी के बहाव को रोक रहे हैं, आप सरौला हैड जाकर देखकर तो आइए कितनी धक्केशाही चल रही है।
source:-bhaskar.com
हरियाणा का मानना है कि हांसी-बुटाना के किनारे दीवार बनने से पंजाब की तरफ से आ रहे पानी के बहाव पर रोक लग जाएगी, वहीं पंजाब को आशंका है कि पानी के प्राकृतिक बहाव को रोकना पंजाब के लिए अहितकारी होगा। विवादों के बीच पिछले कुछ दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से दीवार बनने का काम थम सा गया है, लेकिन दोनों राज्यों में सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है।
दीवार के दोनों तरफ रह रहे लोग सहमे हुए हैं कि कहीं इस बार बाढ़ की विभीषिका पिछले साल से ज्यादा भयावह तो नहीं होगी। टटियाणा पुल (आरडी 45000) पर आरडी 52000 के पास दीवार पर दर्जन भर मजदूर निर्माण कार्य में लगे हैं। पुल के पास ही हमारी मुलाकात यहां गांव हाशमपुर के जसबीर सिंह से हुई। उसका मानना है, हरियाणा वाले यह काम सही नहीं कर रहे हैं, पानी के बहाव को रोककर हमारे लिए मुसीबत पैदा कर रहे हैं।
बाढ़ आई तो हमारी तो हजारों एकड़ फसल तबाह हो जाएगी, और माली नुकसान कितना होगा पता नहीं। पहले तो यह नहर ही मुसीबत बनी हुई थी अब उस पर बन रही यह दीवार मुसीबत को और बढ़ा देगी। उन्होंने बताया कि इस बार बाढ़ आई तो नुकसान ज्यादा होगा। इसी दौरान हमारी बातचीत में कैथल के गांव टटियाणा का महिंदर सिंह भी शामिल हो जाता है।
महिंदर सिंह दीवार बनाने को सही ठहराता है, ‘तो क्या पानी की मार से हम मरें, हरियाणा अपने इलाके में दीवार बना रहा है तुम्हारे में तो नहीं’। नोक-झोंक से साफ जाहिर है कि दीवार अब दिलों में बनती जा रही है। महिंदर हमें दीवार बनाने वाले स्थल पर ले जाता है जहां काम काफी धीमी गति से चल रहा है। काम करने वाले मजदूर बताते हैं, बरसात के कारण पानी नींव में भर जाता है इसलिए काम धीमी गति से चल रहा है।
नहर के बाएं किनारे से सात फुट की दूरी पर नहर के बैड से चार फुट नीचे जाकर नींव खोदी जा रही है। इसमें स्टील लगाकर कंक्रीट भरने का काम जारी है फिर इसे पांच फुट और ऊपर लाया जाएगा और नहर के बाएं किनारे और दीवार को मिलाने वाला स्लोप बनाया जाएगा ताकि घग्घर के तेज बहाव को हांसी बुटाना नहर को नुकसान न हो।
कश्मीर सिंह सहित बलजीत सिंह व कुछ और गांवों के सरपंचों ने हाईकोर्ट में इसके खिलाफ केस भी दायर किया लेकिन हाईकोर्ट ने कहा, राज्य सरकार के मार्फत केस दायर किया जाए। नहर का विरोध करने के बारे में वह बताते हैं, हमने विरोध किया था, कई बार सड़क पर जाम भी लगाया है लेकिन फिर उधर (हरियाणा) वाले भी विरोध करने में जुट जाते हैं, सही चीज को तो कोई देखने को राजी नहीं है। इस नहर ने तो हमारे रिश्ते ही बिगाड़ दिए हैं।
हांसी बुटाना नहर के बाएं किनारे पर बने गांव धर्महेड़ी के सरपंच कश्मीर सिंह , महिंदर सिंह के मत से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है, च्पानी तो कुदरती बहाव की तरफ ही जाता है इसे रोकने की कोशिश करना खतरे से खाली नहीं है। पहले तो इन्होंने हमारे विरोध के बावजूद ये नहर बना ली, अब दीवार बनाकर पक्के तौर पर पानी के बहाव को रोक रहे हैं, आप सरौला हैड जाकर देखकर तो आइए कितनी धक्केशाही चल रही है।
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