चंडीगढ़. बहुचर्चित रुचिका छेड़छाड़ प्रकरण में आरोपी हरियाणा के पूर्व डीजीपी शंभू प्रताप सिंह राठौर के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक और जज ने गुरुवार को सुनवाई से इनकार कर दिया।
गुरुवार को इस मामले पर जस्टिस एमएम कुमार व जस्टिस गुरदेव सिंह की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होनी थी। जस्टिस एमएम कुमार ने सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे पहले जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस एएन जिंदल की खंडपीठ के समक्ष भी मामला सुनवाई के लिए आया था। जस्टिस हेमंत गुप्ता भी मामले पर सुनवाई से इनकार कर चुके हैं।
इस सिलसिले की शुरुआत चीफ जस्टिस रंजन गोगोई व जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ में हुई थी, जहां सबसे पहले जस्टिस सूर्यकांत ने मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद चीफ जस्टिस ने सुनवाई किसी दूसरे बेंच के समक्ष करने के निर्देश दिए थे। अब मामले को एक बार फिर चीफ जस्टिस के समक्ष विचार के लिए भेजा गया है, जहां से सुनवाई किसी अन्य खंडपीठ को रेफर की जाएगी।
स्वयंसेवी संस्था वल्र्ड ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन काउंसिल के चेयरमैन वकील रंजन लखनपाल की तरफ से दाखिल जनहित याचिका में इस पूरे केस की नए सिरे से जांच की मांग की गई है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले में विचाराधीन रहते राठौर को पदोन्नति देने के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए तत्कालीन डीजीपी आरआर सिंह की रिपोर्ट को पेश करने के निर्देश दिए थे।
साथ ही मामले के विचाराधीन रहते रुचिका को स्कूल से निकालने पर चंडीगढ़ की एसडीएम प्रेरणा पुरी की रिपोर्ट भी तलब की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले पर वे चंडीगढ़ की एसडीएम प्रेरणा पुरी की रिपोर्ट देखना चाहते हैं। आरआर सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि राठौर ने रुचिका से छेड़छाड़ की। आरआर सिंह ने तीन सितंबर 1990 को यह रिपोर्ट दी थी। बावजूद इसके राठौर को पदोन्नति दे दी गई थी। राठौर को इस मामले में चंडीगढ़ की विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया था। इसके बाद से राठौर की अपील सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
source:-bhaskar.com
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