Thursday 30 June 2011

हिसार में 1052 चवन्नी बैंक में जमा

हिसार. पूरे देश में गुरुवार को चवन्नी युग का अंत हो गया। रेड स्क्वेयर मार्केट स्थित भारतीय स्टेट बैंक में जिले के सिर्फ एक व्यक्ति ने 1052 चवन्नियां जमा कराईं और 263 रुपए लेकर चला गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने चवन्नी जमा कराने के लिए पहले ही अंतिम तिथि घोषित की थी। शहर में वैसे तो तमाम बैंक हैं, लेकिन किसी ने भी अन्य बैंक में चवन्नियां जमा नहीं कराईं।

फिर वह चाहे रेड स्क्वेयर मार्केट स्थित यूनियन बैंक, सिंडीकेट बैंक की बात हो या फिर यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एक्सिस बैंक की। इसी के साथ अब चवन्नी ‘चांद’ हो गई है। अब चवन्नी केवल लोगों की चर्चाओं में रहेगी कि उनके जमाने में चवन्नी की क्या कीमत थी। उससे वह क्या-क्या खरीदते थे।

‘चवन्नी में लेते थे दो किलो दूध’

शहर के छबीलदास चौक के 72 वर्षीय ओम प्रकाश बताते हैं कि वह अपने बचपन में कैटल फार्म से चवन्नी में दो किलो दूध लेते थे। कटला रामलीला मेले के लिए अगर उन्हें चवन्नी मिल जाती थी तो वह भर पेट
चीजें खाते थे। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की महिलाएं परंपरागत रूप से चवन्नी का प्रयोग नवजात शिशुओं को नजर से बचाने के लिए करती हैं।

जन्म के बाद शिशु के गले में काले धागे के साथ चवन्नी बांध दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इससे उनका शिशु स्वस्थ रहता है। ऐसे में चवन्नी का चलन बंद होने के बाद भी कुछ लोगों ने इसे सहेज कर भी रखा है।
शहर के प्रसिद्ध ज्योतिषी राजेंद्र प्रसाद कौशिक बताते हैं कि चवन्नी का कोई विशेष मसला नहीं हैं। दरअसल, चवन्नी आकार में छोटी, बांधने में सुविधाजनक और बच्चों को चुभती नहीं थी। इसके चलते मान्यता के अनुसार इसका प्रयोग ज्यादा किया गया।

source:-bhaskar.com

0 comments:

Post a Comment

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More